DM Vandana Singh biography in Hindi – हल्द्वानी हिंसा….

Vandana Singh biography in Hindi, वंदना सिंह जीवन परिचय , उम्र , करियर, कौन है वंदना सिंह ?

पूरे देश में इस समय हल्द्वानी सुर्खियों में है। 8 फरवरी की शाम को जिस तरह मदरसे के हटाए जाने के बाद हिंसा की गई, उसने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। पुलिस को निशाना बनाया गया। उन पर पथराव हुआ। उपद्रवियों ने पेट्रोल बम फेंके। पुलिस की गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया। पूरे हल्द्वानी में इस समय कर्फ्यू लगा हुआ है। लोग घरों से बाहर नहीं निकल सकते। इंटरनेट बंद कर दिया गया है। इन सबके बीच जो सबसे ज्यादा चर्चा में हैं, वो हैं हल्द्वानी की डीएम बंदना सिंह। उपद्रवियों की अकड़ निकालने वालीं डीएम वंदना सिंह इस समय अपने करियर का एक सबसे चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही हैं। उपद्रवियों ने कानून-व्यवस्था को सीधी चुनौती दी है। हल्द्वानी में भड़की हिंसा के बाद नैनीताल की डीएम बंदना सिंह ने सख्त लहजे में कहा है कि उपद्रवियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने दंगे के सांप्रदायिक एंगल को सिरे से खारिज कर दिया है। उन पर हल्द्वानी में हालात नियंत्रण में लाने का दबाव है।

Vandana Singh biography in Hindi

वंदना सिंह कौन है | Who is IAS Vandana Singh ?

वंदना सिंह का जन्म 4 अप्रैल, 1989 को हरियाणा के नसरुल्लागढ़ गांव में हुआ था। जिस परिवार से वे ताल्लुक रखती थीं, वहां लड़कियों की पढ़ाई को ज्यादा तवज्जो कभी नहीं दी गई। इसी वजह से वंदना को भी शुरुआती जीवन में काफी संघर्ष करना पड़ा, जो पढ़ाई बच्चों का अधिकार मानी जाती है, उन्हें उस अधिकार से ही वंचित करने की तमाम कोशिशें की गई। उनके परिवार के कई सदस्य चट्टान की तरह उनके खिलाफ खड़े हो गए। लेकिन तब वंदना के पिता ने समाज की एक नहीं सुनी और अपनी बेटी को पढ़ाने का एक निडर फैसला किया। उस फैसले ने ही वंदना को सबसे पहले मुरादाबाद के एक गुरुकुल में एडमिशन दिलवाया और फिर देखते ही देखते उन्होंने अपनी 12वीं की पढ़ाई भी पूरी कर ली।

Vandana Singh Career

वंदना सिंह चौहान उत्तराखंड कैडर की 2012 बैच की आईएएस अधिकारी हैं। वह हरियाणा के नसरुल्लागढ़ गांव की रहने वाली हैं। हरियाणा में लड़कियों की शिक्षा को लेकर जिस प्रकार का माहौल था, उसका सामना वंदना को भी करना पड़ा। उनके गांव में कोई स्कूल नहीं था। हालांकि, उनके पिता शिक्षा को लेकर जागरूक थे। वंदना के भाइयों को पढ़ाई के लिए विदेश भेजा गया। वंदना को इससे पढ़ाई के प्रति रुझान बढ़ा। उन्होंने माता- पिता के सामने पढ़ाई की डिमांड रखी। किसी बेहतर स्थान पर पढ़ाई कराने की मांग कर दी। माता- पिता बेटी को पढ़ाने को तैयार थे।

वंदना सिंह ने मुरादाबाद गुरुकुल में वंदना के लिए आवेदन किया। वहां दाखिला मिल गया। हायर एजुकेशन के लिए वंदना को घर से दूर भेजने को लेकर रिश्तेदारों ने आपत्ति जता दी। उनके माता- पिता को भारी विरोध का सामना करना पड़ा। लेकिन, न वंदना मानीं और न माता- पिता पीछे हटे।

वंदना सिंह ने शुरुआती दिनों से ही आईएएस अधिकारी बनने की ठान ली थी। उन्होंने 12वीं के बाद ही इसकी तैयारी शुरू कर दी। दिन में 12 से 14 घंटे तक पढ़ाई शुरू कर दी। वंदना सिंह ने कन्या गुरुकुल भिवानी से संस्कृत ऑनर्स किया और फिर बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा से एलएलबी की पढ़ाई की। हालांकि, परिवार का पूरा समर्थन न मिल पाने के कारण उन्हें कोर्स वर्क ऑनलाइन करना पड़ा। हालांकि, उनके भाई ने हमेशा समर्थन दिया। इस कारण उन्होंने पढ़ाई को आगे जारी रखा।

12 वीं के बाद

वंदना सिंह को परिवार के लोगों को समर्थन नहीं मिल रहा था। इसके बाद भी वे अपने सपने को पूरा करने में लगी रही। अपने स्तर पर यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। वंदना सिंह ने तैयारी के लिए कोई कोचिंग नहीं ली। अपने स्तर पर तैयारी शुरू की। कॉन्सेप्ट को समझना शुरू किया। इसके बाद वह 2012 के यूपीएससी परीक्षा में किस्मत आजमाई। महज 24 साल की आयु में वंदना ने पहले ही प्रयास में आठवीं रैंक हासिल कर ली। इस प्रकार आईएएस अफसर बनने का सपना पूरा किया।

बीते कई सालों से लड़कियां हर क्षेत्र में अपनी सफलता का परचम लहरा रही हैं. बात बोर्ड परीक्षा की हो, यूपीएससी की या अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की, टॉपर्स लिस्ट में लड़कियों का दबदबा देखा जा रहा है. लेकिन इस बीच कुछ ऐसे परिवार भी हैं, जो लड़कियों की पढ़ाई-लिखाई को लेकर सीरियस नहीं हैं. ऐसे ही एक परिवार से निकली हैं आईएएस वंदना सिंह चौहान. इनकी सक्सेस स्टोरी हर किसी को मोटिवेट कर सकती है.

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