बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय भारत देश के एक महान लेखक, कवी और पत्रकार थे. इनका नाम बंकिम चन्द्र चैटर्जी भी था. भारत के राष्ट्रगीत वन्दे मातरम् को सालों पहले इनके द्वारा ही लिखा गया था. वैसे तो 1937 में वन्दे मातरम को राष्ट्रीय गीत का दर्जा मिला, लेकिन बंकिम चन्द्र जी 18 वीं शताब्दी में इसकी रचना की थी. बंगाली भाषा में लिखा यह गीत आज भी लोगों के अंदर देशभक्ति को तरोताजा कर देता है. बंगाली भाषा भारत देश में एक अभूतपूर्व स्थान देने के लिए इनका नाम प्रख्यात है. बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय का जीवन काल कैसा रहा, उनका परिवार, शिक्षा, रचनाएँ, कवितायेँ, पुस्तकें सभी के बारे में हम आपको अपने लेख के माध्यम से विस्तार से जानकारी देंगें।
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बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का जीवन परिचय |Bankim Chandra Chattopadhyay biography in hindi
पूरा नाम | बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय |
अन्य नाम | बंकिम चन्द्र चैटर्जी |
जन्म | 27 जून 1838 |
जन्म स्थान | कंथालपरा, बंगाल |
उम्र | 56 |
पेशा | मजिस्ट्रेट |
मृत्यु | 8 अप्रैल 1894 |
मृत्यु स्थान | कलकत्ता, बंगाल |
धर्म | बंगाली ब्राह्मण |
राशि | कर्क |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | कंथालपरा |
वैवाहिक स्थिति | विवाहित (2) |
प्रसिध्य रचना | वन्दे मातरम् |
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय परिवार की जानकारी
माता का नाम | दुर्गादेवी |
पिता का नाम | यादव (जादव) चन्द्र चट्टोपाध्याय |
भाइयों के नाम | 2 भाई |
बहनों के नाम | नहीं है |
पत्नी का नाम | पहली शादी – 1849 दूसरी शादी – राजलक्ष्मी देवी |
बेटे का नाम | नहीं है |
बेटी का नाम | 3 बेटियां |
बंकिम जी कि शादी मात्र 11 वर्ष में हो गई थी, उस समय उनकी पत्नी महज 5 साल की थी। शादी के 11 साल बाद इनकी पत्नी कि मृत्यु हो गई. जब बंकिम जी 22 साल के थे। इसके बाद बंकिम चन्द्र जी ने दूसरी शादी राजलक्ष्मी देवी से की, जिसके बाद उन्हें तीन बेटियां हुई।
बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म
बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय का जन्म 26 जून 1838 को उत्तरी चौबीस परगना के कंठालपाड़ा, नैहाटी में एक परंपरागत और समृद्ध बंगाली परिवार में हुआ था।
शिक्षा
- बंकिम चंद्र बचपन से ही पढ़ने लिखने में रूचि थी. स्कूल के दिनों में ही इन्होंने पहली बार कविता लिखी थी. बंकिम चन्द्र जी को इंग्लिश भाषा से ज्यादा संस्कृत में रूचि थी, इसके पीछे एक कारण भी है. एक बार स्कूल में उनके इंग्लिश के शिक्षक ने उन्हें इंग्लिश न बनने पर पिटाई कर दी थी, जिसके बाद बंकिम चन्द्र जी को इंग्लिश भाषा से ही चिढ़ हो गई थी. बंकिमचंद्र जी पढाई के साथ साथ खेलकूद में भी आगे थे. स्कूल में उन्हें एक अच्छे मेहनती छात्र के रूप में जाना जाता था.
- आगे की कॉलेज की पढाई बंकिमचंद्र जी ने हुगली मोहसिन कॉलेज से की थी, फिर उसके बाद वे प्रेसिडेंसी कॉलेज गए, जहाँ से उन्होंने आर्ट्स विषय में 1858 में स्नातक किया। कलकत्ता युनिवर्सिटी से उस समय सिर्फ दो लोगों ने स्नातक की फाइनल परीक्षा पास की थी, जिसमें से एक बंकिमचंद्र जी थे। बंकिम जी ने कानून की परीक्षा पास कर, इसकी डिग्री भी हासिल की। इनके भाई भी एक उपन्यासकार और लेखक थे, जिन्होंने कई प्रसिध्य रचनाएँ लिखी थी, जिनमें से एक पलामू थी।
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय का करियर
कानून की पढाई पूरी करने के बाद बंकिम जी को सरकारी नौकरी मिल गई और पिता की तरह ही उन्हें भी बंगाल के एक जिले का उप कलेक्टर बना दिया गया। कुछ समय बाद उनके काम को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने बंकिमचंद्र जी को उप मजिस्ट्रेट पद पर नियुक्त कर दिया।बंकिमचंद्र जी ने लगभग तीस साल तक अंग्रेजों के अधीन होकर काम किया। 1891 में बंकिम जी ने ब्रिटिश सरकारी सेवा से सेवानिवृत्त होने का निर्णय लिया और नौकरी छोड़ दी।
अंग्रेजों के साथ काम करते हुए, बंकिम जी के उनकी कार्यप्रणाली को करीब से देखा था। 1857 की क्रांति के बंकिम जी प्रत्यक्ष गवाह थे. यही सब उनके अंदर क्रांति की आग को भर रहा था। 1857 की लड़ाई के बाद भारत देश कि शासन प्रणाली पूरी तरह बदल गई थी। ईस्ट इंडिया कंपनी की हार के बाद, भारत देश अब ब्रिटेन की महारानी विक्टोरिया के अंदर आ गया था। भारत के शासन पर अब इनका ही अधिकार था। बंकिम जी उस समय सरकारी नौकरी में थे, जिस वजह से वे खुल कर अंग्रेजों के खिलाफ आन्दोलन का हिस्सा नहीं बन सके, लेकिन अंग्रेजों के प्रति रोष, आक्रोश उनके अंदर बढ़ता ही जा रहा था, जिसे उन्होंने अपनी कलम के द्वारा सभों तक पहुँचाने का रास्ता निकाला।
बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का उपाधि
बंकिम अपने सभी उपन्यासों और निबंधों के लिए जाने जाते हैं लेकिन इनकी रचना ‘आनंदमठ’ सबसे अधिक प्रसिध्य हुई, इसमें ही बंकिमचंद्र जी ने वंदेमातरम् गीत को पहली बार लिखा था। इसी से रवींद्रनाथ टैगोर ने ‘वंदे मातरम्’ गीत लिया जो आगे 1937 में भारत का राष्ट्रीय गीत बन गया।
बंकिमचंद्र जी ने अपनी साहित्यिक रचना से बहुत से लोगों को प्रभावित किया है, स्वतंत्रता की लड़ाई में बहुत से स्वतंत्रता सेनानी इनकी रचनाओं से प्रेरणा लेते थे, उनके अंदर एक नया जोश भरता था। बंकिमचन्द्र जी ने अपने काम और विचारों के साथ कई प्रमुख भारतीय व्यक्तित्वों को प्रेरित किया। बिपीन चंद्र पाल ने 1906 में बंदीचन्द्र जी के गीत के बाद “वंदे मातरम्” के नाम से देशभक्ति पत्रिका शुरू की थी, इनकी तरह ही लाला लाजपत राय जी ने भी इसी नाम का जर्नल प्रकाशित किया। ये सभी स्वतंत्रता सेनानियों में देश प्रेम को और बढ़ावा देते थे।
जब पहली बार गाया गया वंदे मातरम
1896 में कलकत्ता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का एक अधिवेशन हुआ था। उस अधिवेशन में पहली बार वंदे मातरम गीत गाया गया था। थोड़े ही समय में राष्ट्र प्रेम का द्योतक यह गीत अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ भारतीय क्रांतिकारियों का पसंदीदा गीत और मुख्य उद्घोष बन गया। देशभर में क्रांतिकारी बच्चे, युवा, व्यस्क और प्रौढ़ ही नहीं यहां तक कि भारतीय महिलाओं की जुबां पर भी आजादी की लड़ाई का एक ही नारा गूंज उठता था और वह है वंदे मातरम।
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय का मृत्यु
बंकिम जी की मात्र 55 साल में अपने कामकाज से सेवानिवृत्त होने के तुरंत बाद ही 8 अप्रैल को 1894 को बंगाल के कलकत्ता में मृत्यु हो गई थी। बंकिम जी की मृत्यु भारत देश के लिए एक बड़ी क्षति थी। बंकिम जी कभी शारीरिक रूप से स्वतंत्रता की लड़ाई में नहीं उतरे, लेकिन उनके द्वारा लिखी हुई रचनाएँ, लेख, कविता हर स्वतंत्रता सेनानी के अंदर देश की आजादी के प्रति अलख जगा देता था।
बंकिमचन्द्र जी ने बंगाली भाषा में आधुनिक साहित्य की शुरुवात की थी। इससे पहले कोई भी लेखक इंग्लिश या संस्कृत भाषा में ही साहित्य लिखा करता था। बंगाली साहित्य का उत्थान इन्ही के द्वारा 19 वीं शताब्दी में शुरू हुआ था। बंगाल साहित्य को आमजन तक पहुँचाने वाले बंकिम जी ही थे।
FAQ:
Q: भारत के राष्ट्रीय गीत “वन्दे मातरम्” के रचयित का नाम क्या है?
Ans: बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय
Q: बंकिमचंद्र चटर्जी द्वारा की गई वन्दे मातरम की रचना कब हुई थी?
Ans: 7 नवंबर 1876
Q: बंकिमचंद्र चटर्जी की दूसरी पत्नी का क्या नाम था?
Ans: राजलक्ष्मी देवी