सुनने में आया है कि तुमने नफ़रत की दुकान खोल ली है, मेरी एक बात मानना थोड़ी मोहब्बत भी रख लेना दिखावे के लिए काम आएगी
फिर से निकलेंगे तलाश-ए-ज़िन्दगी में, दुआ करना इस बार कोई बेवफा न निकले..!!
रोये कुछ इस तरह से मेरे जिस्म से लिपट के, ऐसा लगा के जैसे कभी बेवफा न थे वो..!!
ये बेवफा वफा की कीमत क्या जाने ये बेवफा गम-ए-मोहब्बत क्या जाने जिन्हें मिलता है हर मोड पर नया हमसफर वो भला प्यार की कीमत क्या जाने
मत पूछो दोस्तों ये इश्क़ कैसा होता है, जो रुलाता है ना उसके ही गले लग के रोने को जी चाहता है…
मत सोचो की तुम छोड़ दोगे तो हम मर जायेंगे वो भी जी रहे हैं जिनको तेरी खातिर हमने छोड़ा था