Draupadi Murmu Biography in Hindi – द्रुपदी मुर्मू एक प्रमुख भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो वर्तमान में भारत के 15वें राष्ट्रपति के रूप में कार्यरत हैं। वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सदस्य हैं। उन्हें आदिवासी समुदाय की पृष्ठभूमि वाली भारत की राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित पहली व्यक्ति होने का गौरव प्राप्त है। प्रतिभा पाटिल के बाद, वह भारत की राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने वाली दूसरी महिला हैं। द्रुपदी मुर्मू को प्रबुद्ध महिला सम्राट की उपाधि से सम्मानित किया गया है।
उन्होंने 25 जुलाई 2022 को भारत के 15वें राष्ट्रपति का पद संभाला। राष्ट्रपति बनने से पहले, उन्होंने 2000 और 2004 के बीच ओडिशा सरकार के मंत्रिमंडल के विभिन्न विभागों में कार्य किया। 2015 से 2021 तक, वह झारखंड की राज्यपाल थीं।
द्रुपदी मुर्मू राष्ट्रपति पद संभालने वाली ओडिशा की दूसरी व्यक्ति हैं और देश की सबसे युवा राष्ट्रपति हैं। वह भारत की आजादी के बाद जन्मी पहली राष्ट्रपति हैं। 2022 के राष्ट्रपति चुनाव में, वह 64% (676,803) वोटों के साथ 15वें राष्ट्रपति के रूप में चुनी गईं।
द्रुपदी मुर्मू एक हिंदू अनुसूचित जनजाति समुदाय से हैं। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक शिक्षिका के रूप में की और धीरे-धीरे राजनीति में प्रवेश किया। उनकी शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई और उनके दो बेटे और एक बेटी है, लेकिन दुख की बात है कि उनके दोनों बेटों की मृत्यु हो गई।
वह एक साहसी और प्रभावशाली राजनीतिज्ञ हैं जिन्होंने देश की सेवा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। आज हम इस बहादुर और प्रभावशाली नेता के जीवन के कुछ कम चर्चित पहलुओं को सरल शब्दों में प्रस्तुत करते हैं।
Table of Contents
द्रुपदी मुर्मू कौन है? (Who is Draupadi Murmu?)
द्रुपदी मुर्मू एक प्रसिद्ध भारतीय राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता और महिला अधिकारों की समर्थक हैं। उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। द्रुपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को भारतीय राज्य ओडिशा के मयूरभंज क्षेत्र में हुआ था।
उनका जीवन मानवता के कल्याण के लिए दृढ़ संकल्प, धैर्य और मजबूत समर्पण का उदाहरण है। आइए द्रुपदी मुर्मू की प्रेरक जीवन कहानी का पता लगाएं, जो एक साधारण पृष्ठभूमि से एक सम्मानित राजनीतिज्ञ से अनगिनत लोगों के लिए आशा की किरण बन गईं।
द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय (Draupadi Biography in Hindi)
नाम (Name | द्रौपदी मुर्मू |
जन्म (Date of Birth) | 20 जून 1958 |
उम्र (Age) | 96 वर्ष |
जन्म स्थान (Birth Place) | उपरबेड़ा (बैदापोसी), मयूरभंज, ओडिशा, भारत |
पिता (Father Name) | बिरांची नारायण टुडू |
पति (Husband Name) | श्याम चरण मुर्मू (2014 में निधन) |
बच्चे (Children’s) | तीन (2 बेटे, 1 बेटी) |
बेटी (Daughter Name) | इतिश्री मुर्मू |
स्कूल (School) | के.बी. एचएस उपरबेड़ा स्कूल, मयूरभंज |
कॉलेज (College) | रमा देवी महिला विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर (ओडिशा) |
शैक्षणिक योग्यता (Educational) | बीए |
लंबाई (Length) | 5 फीट 4 इंच |
धर्म (Religion) | हिन्दू |
जाति (Caste) | सांथाल जनजाति (अनुसूचित) |
राष्ट्रीयता (Nationality) | भारतीय |
राजनीतिक पार्टी (Political Party) | भारतीय जनता पार्टी (1997 में जुड़ी) |
प्रसिद्धि का कारण (Famous For) | भारत की राष्ट्रपति |
पूर्व कार्यालय (Former Office) | झारखंड के राज्यपाल, मत्स्य और पशु राज्य मंत्री, वाणिज्य और परिवहन राज्य मंत्री, ओडिशा विधान सभा के सदस्य। |
पुरस्कार (Award) | नीलकंठ पुरस्कार |
द्रौपदी मुर्मू का प्रारंभिक जीवन (Early life of Draupadi Murmu in Hindi)
संथाल जनजाति की सदस्य द्रौपदी मुर्मू का जन्म 28 जून 1958 को ओडिशा के एक साधारण आदिवासी परिवार में हुआ था। उन्होंने अपनी पृष्ठभूमि के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में वंचित लोगों, विशेषकर महिलाओं और बच्चों के संघर्षों का अनुभव किया। इससे उनमें सहानुभूति उत्पन्न हुई और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की उनकी प्रबल इच्छा जागृत हुई।
विभिन्न सामाजिक और आर्थिक बाधाओं का सामना करने के बावजूद, मुर्मू ने अपनी शिक्षा जारी रखी। उन्होंने रायरंगपुर कॉलेज से कला में स्नातक की पढ़ाई पूरी की और उत्कल विश्वविद्यालय से कला में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ‘स्थानीय प्राथमिक विद्यालय, उपरबेड़ा’ से शुरू की और बाद में पढ़ाई के लिए भुवनेश्वर चली गईं। वहां उन्होंने ‘बालिका उच्च विद्यालय यूनिट-2’ से अपनी हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की।
अपनी स्नातक की पढ़ाई के लिए, उन्होंने ओडिशा के भुवनेश्वर में ‘रमा देवी महिला कॉलेज’ में दाखिला लिया और कला में डिग्री प्राप्त की।
द्रौपदी मुर्मू का सामाजिक सक्रियता (Social Activism of Draupadi Murmu in Hindi)
द्रौपदी मुर्मू, सामाजिक न्याय के प्रति अपने प्रेम से प्रेरित होकर, उपेक्षित आबादी के अधिकारों और कल्याण पर ध्यान केंद्रित करते हुए, सामाजिक सक्रियता की राह पर निकल पड़ीं। उन्होंने आदिवासी लोगों, दलितों और अन्य कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों की मदद करने के उद्देश्य से कई जमीनी स्तर के अभियानों में सक्रिय रूप से भाग लिया।
महिला सशक्तिकरण के प्रति अपने अटल समर्पण के कारण मुर्मू ने ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए स्वयं सहायता संगठनों, व्यावसायिक प्रशिक्षण सुविधाओं और शैक्षिक परियोजनाओं की स्थापना की। उन्होंने लड़कियों को शिक्षा देने, लिंग आधारित हिंसा और बाल विवाह सहित समस्याओं पर ध्यान दिलाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।
द्रौपदी मुर्मू का करियर (Career of Draupadi Murmu)
शिक्षिका के रूप में (Worked as a Teacher)
Drupadi Murmu को पढ़ने-पढ़ाने का बड़ा शौक था। उन्होंने अपनी करियर की शुरुआत एक शिक्षिका के रूप में की। 1994 से 1997 तक उन्होंने रायरंगपुर में ‘श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट’ के अंतर्गत सहायक प्रोफेसर के रूप में काम किया। उन्हें 1990 के दशक में उङीसा सरकार के सिंचाई विभाग में भी कनिष्ठ सहायक के रूप में नौकरी मिली। वहां उन्होंने सिंचाई और बिजली विभाग के हिस्से में ओडिशा सरकार के साथ काम किया। सन् 1979 से 1983 तक उन्होंने ओडिशा गवर्नमेंट के बिजली डिपार्टमेंट में जूनियर असिस्टेंट के तौर पर काम किया।
राजनीतिक जीवन (Political Life)
द्रौपदी मुर्मू पहले एक अध्यापिका थीं, फिर धीरे-धीरे राजनीति में आई। 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में भाग लिया और पार्षद के रूप में चुनी गई। उनका राजनीतिक जीवन का दौर यहाँ से शुरू हुआ, जहाँ उन्होंने भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
वे भाजपा की आदिवासी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सदस्य भी रहीं।उन्होंने ओडिशा राज्य के मयूरभंज जिले की रायरंगपुर सीट से 2000 और 2009 में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर दो बार विधायक बनीं। 2000 से 2002 तक नवीन पटनायक के बीजू जनता दल और भाजपा के गठबंधन की सरकार के दौरान वे वाणिज्य और परिवहन विभाग में स्वतंत्र प्रभार मंत्री थीं।
द्रौपदी मुर्मू ने 6 अगस्त, 2002 से 16 मई, 2004 तक मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री के पद पर भी कार्य किया। 2007 में, ओडिशा विधानसभा द्वारा उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए ‘नीलकंठ पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया।
2002 से 2009 तक, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जाति मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सदस्यता ग्रहण की थी। 2006 से 2009 तक, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के एसटी मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाला। 2013 में, उन्हें मयूरभंज के लिए पार्टी के जिला अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति मिली।
द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली महिला राज्यपाल (Draupadi Murmu first woman governor of Jharkhand)
द्रौपदी मुर्मू ने मई 2015 में झारखंड राज्य की 9वीं राज्यपाल के रूप में सैयद अहमद की जगह ग्रहण किया था। उन्होंने झारखंड हाईकोट के तत्कालीन चीफ जस्टिस वीरेंद्र सिंह के सामने राज्यपाल पद की शपथ ली थी।
द्रौपदी मुर्मू झारखंड राज्य की पहली महिला राज्यपाल थीं और भारत के किसी भी राज्य की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल बनीं। राज्यपाल के पद पर रहते हुए उन्होंने कई साहसिक फैसले लिए, जिनसे उन्हें काफी चर्चा में रहा।
उन्होंने विधानसभा द्वारा पारित दो विवादस्पद विधेयकों को वापस लौटाया। उन्होंने पदेन कुलाधिपति के रूप में कॉलेज की छात्राओं के ऑनलाइन नामांकन के लिए चासंलर पोर्टल शुरू किया, जिससे कॉलेज प्रवेश संबंधित समस्याओं से छात्राओं को सहूलियत मिली।
द्रौपदी मुर्मू भारत की राष्ट्रपति (Draupadi Murmu President of India 2022)
25 जुलाई 2022 को भारत की 15वीं राष्ट्रपति के रूप में द्रौपदी मुर्म को एन वी रमन ने शपथ दिलवाई। द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनीं और दूसरी महिला राष्ट्रपति भी हुईं। वे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की उम्मीदवार थीं।
2022 के राष्ट्रपति चुनावों में द्रौपदी मुर्मू को बहुजन समाज पार्टी (बसपा), शिवसेना, झारखंड मुक्ति मोर्चा, बीचू जनता दल (बीजद), तेलुगू देशम पार्टी (देदेपा), वाई.एस.आर. कांग्रेस आदि विपक्षी पार्टियों ने उनका समर्थन किया और पूरे देश में उनका प्रचार किया। राज्य की राजधानियों में भी उनका स्वागत किया गया।
राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्म का चयन भारतीय जनता पार्टी ने किया था और इसके विपरीत विपक्ष दलों को अपने राष्ट्रपति के लिए संयुक्त उम्मीदवार का चयन करने में काफी जिद करनी पड़ी। पहले राकांपा प्रमुख शरद पवार और फिर नेशनल कांफ्रेंस के नेता डॉ. फारुख अब्दुल्ला के नाम पर चर्चा हुई, लेकिन वे भी इस समर्थन को नहीं स्वीकारे।
उसके बाद यशवंत सिन्हा, जिन्होंने भाजपा से इस्तीफा दिया था, और तृणमूल कांग्रेस के नेता ममता बनर्जी के आग्रह पर विपक्षी दलों की तरफ से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बने।
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निष्कर्ष (Conclusion)
द्रौपदी मुर्मू का सफर उनके गरीब मूल से लेकर प्रसिद्ध राजनीतिक नेतृत्व तक एक स्मारक है, जो उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता, अटूट दृढ़ संकल्प और सकारात्मक बदलाव लाने के अथक प्रयासों का परिचय करता है। उनका समाज पर गहरा प्रभाव है, विशेषकर वंचित समूहों, महिलाओं और स्वदेशी जनजातियों के अधिकारों और कल्याण के प्रति उनका अटूट समर्थन।
आज भी बहुत से लोग द्रौपदी मुर्मू से प्रेरित हैं और उनकी अविश्वसनीय विरासत ने उन्हें उत्साहित किया है। उनके दयालु और नेतृत्वपूर्ण प्रतिबंधों से लबरेज़ दुनिया के लिए एक बेहतर भविष्य बनाने में लोग विश्वास करते हैं। उनके प्रयास ने परिवर्तनकारी शक्ति की मिसाल प्रस्तुत की है और यह हमेशा याद दिलाता है कि नेतृत्व में छिपी हुई ताक़त हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है।
द्रुपदी मुर्मू कौन है?
द्रुपदी मुर्मू एक प्रसिद्ध भारतीय राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता और महिला अधिकारों की समर्थक हैं। उन्होंने महिलाओं के सशक्तिकरण और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के उत्थान में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
द्रौपदी मुर्मू का जन्म कब हुआ था और कहां हुआ था?
संथाल जनजाति की सदस्य द्रौपदी मुर्मू का जन्म 28 जून 1958 को ओडिशा के एक साधारण आदिवासी परिवार में हुआ था।
राष्ट्रपति मुर्मू की उम्र कितनी है?
65 वर्ष
द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति कब बनी?
द्रौपदी मुर्मू 25 जुलाई 2022 को भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनी।
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